कोण्डागांव. जिला प्रशासन भले ही कोण्डागांव को नक्सल मुक्त घोषित करने का दावा करे, लेकिन जमीनी हकीकत शिक्षा के क्षेत्र में बदहाली की कहानी बयां करती है. नक्सलियों का खौफ तो खत्म हो गया, लेकिन मांझानार, उहुपाल और तुमड़ीबाल जैसे दूरस्थ गांवों में बच्चों की पढ़ाई अब भी जर्जर टीन शेड और अधूरी दीवारों के बीच चल रही है. मांझानार में 30, उहुपाल में 13 और तुमड़ीबाल में 21 बच्चे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ते हैं. लेकिन इन स्कूलों में न पक्के कमरे हैं, न फर्नीचर, न शौचालय और न ही मध्यान्ह भोजन के लिए रसोई. बरसात में टपकते पानी, सर्दियों में ठंडी हवाओं और दीवारों के छेदों से सांप-बिच्छुओं का खतरा बच्चों की पढ़ाई को मुश्किल बना देता है. बच्चे खुले में या जर्जर टीन शेड के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दस्तावेज रखने की अलमारी तक नहीं है, जिससे स्कूल का रिकॉर्ड भी असुरक्षित है.
नक्सल मुक्त कोण्डागांव में शिक्षा अब भी झोपड़ियों में कैद
