रायपुर। छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी का पद प्रभारियों के हवाले है। शिक्षा जैसे संवेदनशील विभाग में यह अस्थायी व्यवस्था स्थायी बन रही है। योग्य और वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर कनिष्ठों को चहेते के तौर पर बैठाया जा रहा है। इस व्यवस्था पर अब सवाल भी उठने लगे हैं। शिक्षाविदों और अभिभावक संगठनों का आरोप है कि यह प्रथा न केवल शिक्षा की गुणवत्ता गिरा रही है, बल्कि भ्रष्टाचार और नियमों के खुले उल्लंघन का अड्डा बन चुकी है। पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने इसे पैसे का खेल करार देते हुए कहा कि प्रभारी शिक्षा अधिकारी बैठाने पर मोटी कमाई होती है, प्रभारियों से भ्रष्टाचार करवाया जाता है और कमीशन लिया जाता है। उनका कहना है कि कुछ दिनों के लिए प्रभारी व्यवस्था को समझा जा सकता है, लेकिन सालों से यह प्रथा व्यापार बन चुकी है। शिक्षा विभाग से रिटायर्ड अधिकारी एवं शिक्षाविदों का मानना है कि अयोग्य व्यक्तियों को DEO जैसे महत्वपूर्ण पदों की कमान सौंपना शिक्षा के गिरते स्तर का प्रमुख कारण है।
छत्तीसगढ़ में प्रभार पर चल रहा डीईओ ऑफिस: चहेतों को मलाईदार कुर्सी, रद्दी की टोकरी में नियम, अफसरों ने साधी चुप्पी
